कर्ज के बोझ तले दबी एयर इंडिया को बेचने के लिए केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है। गुरुवार को रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अगर वह मंत्री न होते, तो एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगा रहे होते। गोयल गुरुवार को दावोस में विश्व आर्थिक सम्मेलन (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) में पहुंचे थे। एयर इंडिया लंबे समय से घाटा झेल रही है और सरकार अब इसे बेचने की रूपरेखा को अंतिम रूप दे रही है।
'भारत का रणनीतिक दृष्टिकोण' विषय पर आयोजित सत्र में बोलते हुए गोयल ने कहा, “अगर मैं मंत्री न रहा होता, तो एयर इंडिया के लिए बोली लगा रहा होता। एयर इंडिया के पास दुनिया भर में सबसे बाइलेटरल सहयोगी हैं। मेरे विचार में बेहतर प्रबंधन और कार्यक्षमता के साथ एयर इंडिया के ढेरों अच्छे विमानों का इस्तेमाल हो सकता है। इससे बाइलेटरल के जरिए दुनिया भर में अच्छी संभावनाएं बन सकती हैं। मेरी दृष्टि में यह सोने की खान से कम नहीं है।”
हमें खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली: गोयल
दावोस में एयर इंडिया और बीपीसीएल समेत दूसरी कंपनियों को बेचे जाने के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा- पहले कार्यकाल में मोदी सरकार को खस्ताहाल अर्थव्यवस्था मिली थी। अब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। अगर सरकार रत्न कंपनियों के विनिवेश का रास्ता अपनाती, तो उसका बहुत फायदा नहीं मिलता।
बाइलेटरल क्या है?
बाइलेटरल का मतलब दो देशों के बीच एक-दूसरे की एयरलाइन को निश्चित संख्या में सीटों का इस्तेमाल करने की इजाजत देना है। इसके जरिए एयरलाइन को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सीटों की संख्या एडजस्ट करने में मदद मिलती है।